शूलिनी माता मंदिर / शूलिनी मेला (Shoolini Temple / Fair), Solan Information in Hindi

शूलिनी माता मंदिर / शूलिनी मेला(Maa Shoolini  Temple/Shoolini Fair)


 शूलिनी माता मंदिर(Maa Shoolini Temple)-


     शूलिनी माता के  नाम से सोलन का नामकरण हुआ है। माता शूलिनी बघाट रियासत के शासकों की कुल देवी मानी जाती है, बघाट के शासकों ने ही शूलिनी माता के मंदिर का निर्माण किया था। सोलन के शूलिनी माता के मंदिर में माता के अतिरिक्त शिरगुल देवता और माली देवता इत्यादि की प्रतिमाएं हैं।

 लोकमत के अनुसार शूलिनी माता 7 बहनों में से एक है। अन्य बहनें हिंगलाज माता, जेठी ज्वाला जी, लुगासना देवी, नैना देवी और तारा देवी हैं।

सोलन‌ नगर बघाट रियासत की राजधानी हुआ करती थी।




शूलिनी मेला (Shoolini Fair)-

  जनश्रुति के अनुसार बघाट के शासक अपनी कुल देवी की प्रसन्नता के लिए प्रतिवर्ष मेलें का आयोजन करते थे। प्राचीन काल में मेला एक दिन का हुआ करता था,जो आषाढ़ मास के दूसरे रविवार को मनाया जाता था और आज भी मनाया जाता है, परन्तु सन् 1972 में सोलन जिला के अस्तित्व में आने के बाद इस मेले के  सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखने तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मेले को राज्य स्तर का बनाकर 3 दिवसीय मेले का स्वरुप प्रदान किया गया। 

  मेले की शुरुआत शूलिनी माता की झांकी के के साथ होती है, माता की पहले दिन पूरे सोलन नगर में शोभायात्रा निकाली जाती है तथा फिर 3 दिनों के लिए इन्हें जक मन्दिर में दर्शन के लिए रखा जाता है।

 मेले में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें कईं  तरह के कलाकार आकर प्रदर्शन करते हैं।

 मेले के एतिहासिक महत्व को बनाए रखने के उद्देश्य से प्राचीन धनुर्विद्या का प्रतीक 'ठोडो खेल' का आयोजन किया जाता है। इस खेल का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। इस क्षेत्र के लोग आज भी अपने आपको कौरव-पांडव अर्थात् पहाड़ी भाषा में 'शाठा-पांशा' कहते हैं।

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