सोलन (District Solan) - History, Geography and Viewable Places etc.

  ज़िला सोलन

(District Solan)


भारत (India) के पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश का एक प्रसिद्ध ज़िला है सोलन (Solan).


इए सोलन को ज़रा करीब से जानते हैं-


आखिर सोलन नाम पड़ा कैसे?


             SOLAN(सोलन)- सोलन,का नामकरण माता शूलनी के नाम पर हुआ है। शूलनी मां सोलन की मुख्य पूज्य देवी (Goddess) है।



क्या है

 सोलन में प्रसिद्ध (Famous in  District Solan):-

Solan
Solan City

सोलन शहर (Solan City)

                सोलन ज़िला का  मुख्यालय स्वयं सोलन‌ शहर है, शहर का मुख्य आकर्षण दीयूघाट से चंबा घाट तक और सपरून से जटोली तक का है ,इन चारों स्थानों  (Stations) के भीतर समाया है मुख्य सोलन शहर। शहर के मुख्य स्थान हैं-


  • माल रोड  (The Mall Road)

  • पुराना बाज़ार (Old Market

  • मोहन पार्क (Mohan Park)

  • चिल्ड्रन पार्क ( Children Park)

  • जवाहर पार्क ( Jawahar Park)

  • रेलवे स्टेशन  (Railway Station)

  • नया और पुराना बस स्टैंड (New and Old Bus Stand)



शूलिनी माता मंदिर(Shoolini Temple)-

                       सोलन नगर में मां शूलिनी का विख्यात मंदिर है, और प्रतिवर्ष यहां जून के महीने में मेले का आयोजन किया जाता है।


कण्डाघाट(Kandaghat)- 

कण्डाघाट में प्रदेश का एकमात्र महिला बहुतकनीकि संस्थान स्थापित है। यहां की बेसन की बर्फी भी विख्यात है।



चायल(Chail)-

        सोलन से लगभग 35-40 किमी. दूर चायल में विश्व का सबसे ऊंचा क्रिकेट ग्राउंड है।



कसौली (Kasauli)


 कसौली एक विख्यात हिल स्टेशन है, यहां के मुख्य आकर्षण हैं-


  • गिलबर्ट ट्रेल (Gilbert Trail)

  • सनसेट प्वाइंट (Sunset Point)

  • मंकी प्वाइंट (Monkey Point)

  • क्राइस्ट चर्च (Christ Church)

  • द माल रोड (The Mall Road)

  • कसौली ब्रीवेरी ( Kasauli Brewery)



रूढ़ा गांव(Ruda Village)-

            ये गांव भगवान् राम के मंदिर के लिए विख्यात है। यहां भगवान् राम  की साढ़े 10 फुट की अष्टधातु की मूर्ति स्थापित है।

ये गांव कण्डाघाट- चायल मार्ग पर है।



जटोली मंदिर (Jatoli Temple)-

               जटोली  मंदिर दक्षिण भारतीय कला के आधार पर बना प्रख्यात शिव मंदिर है । मंदिर, सोलन से लगभग 5 किमी. दूर है। 


गोरख टिल्ला (Gorakh Tilla)-

                 सोलन के औद्योगिक नगर बद्दी से लगभग 3 किमी दूर, महाराजा पटियाला द्वारा बनाया गया, गोरख टिल्ला है।



लाॅरेंस स्कूल(Lawrence School)-

                सोलन के कसौली में लाॅरेंस स्कूल है, जिसे 1847 ई॰ में हेनरी लाॅरेंस ने स्थापित किया था। 



नौणी विश्वविद्यालय ( Nauni University)-

                         सोलन के नौणी में  वाई॰ एस॰ परमार बाग़वानी और वानिकी विश्वविद्यालय (Dr. Y.S. Parmar University of Horticulture and Forestry)  है।

 


वन्यजीव अभ्यारण्य (Wildlife Sanctuary)-

                           सोलन के दाड़लाघाट, मजाठल, चायल और शिल्ली में वन्यजीव अभ्यारण्य हैं। 



अश्वनी खड्ड (Ashwani Khad)-

                अश्वनी खड्ड सोलन से लगभग 10 किमी दूर है, यहां पर एक विशाल दुर्गा मां का मंदिर और नेशनल हेरिटेज पार्क है।



 मलौण किला(Malaun Fort)-

  सोलन  और बिलासपुर की सीमा पर स्थित राजा जोगिंद्र का एतिहासिक किला है, परन्तु वर्तमान में यह काफी खंडित हो गया है। 



करोल टिब्बा (Karol Tibba)-

   सोलन बाजार से 2 किमी. दूर चंबाघाट से करोल टिब्बा के लिए रास्ता जाता है, करोल टिब्बा में पांडव गुफा है, ऐसा माना जाता है कि ये गुफा पांडवों द्वारा बनाई गई, इस गुफा का दूसरा सिरा हरियाणा के पिंजौर में खुलता है। 



डगशाई जेल(Dagshai Jail)-

    सोलन के डगशाई में, 1849 ई॰ में 72,873/- रुपए की लागत से निर्मित जेल में 54 कैदी कोठरियां है।




सोलन का भूगोल ( Geography of Solan):-


  भौगोलिक स्थिति( Geographical situation)-


   सोलन (Solan) हिमाचल प्रदेश के दक्षिण- पश्चिम भाग  में स्थित है। सोलन के पूर्व में शिमला, पश्चिम में पंजाब, उत्तर में           बिलासपुर और मण्डी तथा दक्षिण में सिरमौर और हरियाणा स्थित है। 

 सोलन ज़िला की समुद्र तल से ऊंचाई 300-3000 मीटर तक है।


 घाटियां(valleys)- 


 सोलन ज़िले की सोलन तहसील में सपरून घाटी, नालागढ़ तहसील में दून घाटी और अर्की तहसील में कुनिहार घाटी स्थित है। दून घाटी सोलन की सबसे उपजाऊ घाटी है।


नदियां (Rivers)-


  •   सोलन जिले में नदियां बहती हैं-

  • असनी, 

  • गम्भर, 

  • डबार, 

  • कुठार, 

  • कियार, 

  • कौसल और सिरसा


 इतिहास(History of Solan):-


  आज का सोलन, पूर्व काल में विभिन्न रियासतों में विभक्त था। उन रियासतों के नाम हैं-


१) बघाट (Baghat)- 

             बघाट का अर्थ है 'बहुत घाटों वाली भूमि'। बघाट रियासत की स्थापना परमार वंशीय बसंतपाल ने की थी‌। बसंतपाल को हरिचंद पाल के नाम से भी जाना जाता है। बघाट के अंतिम शासक राजा दुर्गा सिंह थे।


२) बाघल (Baghal)-

              बाघल रियासत सतलुज की सहायक नदी गम्भर की घाटी में स्थित थी। इस रियासत की स्थापना 14वीं शताब्दी के आसपास मानी जाती है। 

 

३) कुनिहार(Kunihar)-

              कुनिहार रियासत की स्थापना 1154ई॰ में जम्मू के अभोज देव ने की। इस रियासत की राजधानी हाटकोटी थी। ठाकुर हरदेव सिंह कुनिहार के अंतिम शासक थे।

 

४) मांगल (Mangal)-

             इस रियासत की स्थापना मारवाड़ के अत्री राजपूत ने की। इस रियासत का नामकरण मंगल सिंह के नाम पर पड़ा। राणाशिव सिंह रियासत के अंतिम शासक थे।

 

५) बेजा(Beja)-

          बेजा रियासत की स्थापना के विषय में दो मत प्रचलित हैं, कुछ का माना है कि रियासत की स्थापना दिल्ली के तंवर राजा ढोलचंद ने की तो कुछ का कहना है कि ढोलचंद के 43वें वंशज गर्वचंद ने इस रियासत की नींव रखी।लक्ष्मीचंद रियासत के अंतिम शासक थे।


६) महलोग (Mehlog)-

               महलोग रियासत की स्थापना अयोध्या के वीरचंद ने की। 1612 ई॰ में इस रियासत की राजधानी 'पट्टा' से 'कोट धारसी' स्थानांतरित की गई। अंतिम शासक ठाकुर नरेंद्र चंद थे।

 


७) हण्डूर/नालागढ़ (Hindur/Nalagarh)-

                          हण्डूर रियासत की स्थापना 1100 ई॰ के आसपास अजयचंद ने की थी। हण्डूर/नालागढ़ को 1966 ई॰ में हिमाचल प्रदेश में मिलाया गया जो 1972 ई॰ में सोलन जिले का हिस्सा बना।


८) कुठाड़ (Kuthar)-

              कुठाड़ रियासत की स्थापना कश्मीर से आए सूरत चंद ने की थी। क्योंथल का का हिस्सा रहे सबाथू को बाद में कुठाड़ रियासत में मिला दिया गया। सबाथू किले का निर्माण गोरखों ने करवाया था, जिसमें 1816 ई॰ में ब्रिटिश सरकार ने पहली सैन्य चौंकी  स्थापित करवाई।




1803से 1815 तक इन रियासतों के लिए गोरखों और अंग्रेजों के बीच संघर्ष चला। अंत में,1815 ई॰ में ये सभी रियासतें अंग्रेजों के अधिकार में आ गई। 

  1 नवंबर,1966 को पंजाब के क्यौथल और कोटि के पहाड़ी क्षेत्रों को  भी सोलन मे मिलाया गया।

अंततः सोलन, 1 सितंबर, 1972 में हिमाचल प्रदेश का एक ज़िला बना। 


अर्थव्यवस्था (Economy of Solan)-


  सोलन में उद्योगों को बढ़ावा दिया गया जिससे इस क्षेत्र में उद्योगों की भरमार हो गई। ज़िला के परवाणू, नालागढ़, बरोटीवाला, बद्दी और सोलन में उद्योग बड़ी संख्या में स्थापित होने के कारण ज़िला में करोड़ों का निवेश हुआ तथा युवाओं को रोज़गार प्राप्त हुआ।

मोहन मीकिंस ब्रुअरी की स्थापना 1855 ई॰ में सोलन में की  गई।

सोलन को खुम्ब शहर (Mushroom City) के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर राष्ट्रीय मशरूम अनुसंधान संस्थान है। 

 नालागढ़ में डोलोमाइट, कुठार में जिप्सम तथा दाड़लाघाट में चूना पत्थर( Lime Stone) के भंडार हैं।



टिप्पणियाँ