बघाट रियासत (Baghat Princely State, Solan)

                  बघाट रियासत (Baghat Princely State)



बघाट रियासत (सोलन) शिमला से 33 किमी. दक्षिण-पश्चिम में स्थित थी, इसका विस्तार सोलन व सपाटू तक था।ये रियासत गिरि की  सहायक नदी अश्वनी और सतलुज की सहायक नदी गम्भर के मध्य में स्थित थी।


बघाट शब्द की उत्पत्ति बहु+घाट से हुई है, जिसका अर्थ है 'बहुत घाटों वाली भूमि'। इस रियासत का नाम बघाट राणा इन्द्र पाल ने रखा था जोकि इसके हिमाचल मे विलय तक चलता रहा। 


  बाघल का इतिहास व परंपरा यह कहती है कि उसके और बघाट के संस्थापक अजय देव व विजय देव दोनो भाईं थे, जो दक्षिण के धरनगिरी से आए थे। बड़े भाई अजय देव ने बाघल की नींव रखी और छोटे भाई विजय ने बघाट की।

 

  जबकि,बघाट की स्थापना धरनगिरी से आए पंवर/परमार वंश के राजपूत बसंतपाल द्वारा की गई मानी जाती है।

 बसंतपाल धरनगिरी से आकर जहां बसे उन्होंने वहां का नाम 'बसंतपुर' रखा।  जिसे अब 'बासी' के नाम से जाना जाता है, जो सोलन शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर है।


बघाट रियासत के कुछ प्रसिद्ध राजा (Famous Rulers of Bhaghat Princely State):-

                                         

राणा नारायण पाल ( Rana Narayan Pal)-

       ये बघाट रियासत के एक कुशल शासक थे। इनसे प्रसन्न होकर मुगल बादशाह ने इन्हें दिल्ली बुलाकर पुरुस्कार/खिल्लत से सम्मानित किया, जब ये दिल्ली से वापिस आ रहे थे तो 'भावना' (कालका के निकट) के  राय ने इन पर हमला कर दिया और इस युद्ध में स्वयं राय ही मारा गया, जिससे भावना भी बघाट के अधिकार क्षेत्र में आ गया। परन्तु, कुछ वर्षों‌‌ के पश्चात् ये बघाट से स्वतंत्र हो गया था।


रघुनाथ पाल (Raghunath Pal)-

        इन्होंने कहलूर के राजा देवीचंद की युद्ध में सहायता की थी। रघुनाथ पाल के पश्चात उनके पुत्र दलील सिंह राणा बने। इन्होंने पाल उपनाम को छोड़ सिंह उपनाम को अपनाया।


राणा महेंद्र सिंह (Rana Mahendra Singh)-

             इन्होंने बघाट को कहलूर रियासत के आधिपत्य से मुक्त करवाया। परन्तु कहलूर के साथ मैत्री संबंध रखें।

 महेंद्र सिंह ने गोरखा सेनानी अमर सिंह थापा के साथ पारिवारिक संबंध बनाएं।


राजा दुर्गा सिंह (Raja Durga Singh)-

      1911 ई॰ में दुर्गा सिंह 11 वर्ष की आयु में, अपने पिता की मृत्यु के पश्चात सिंहासन पर बैठे। औपचारिक रूप से राज्याभिषेक 23 मई, 1913 को हुआ। 

 राजा दुर्गा सिंह बघाट के अंतिम शासक थे। इन्होंने 26 जनवरी,1948 को सोलन  में राजाओं और प्रजामंडल के प्रतिनिधियों की बैठक भी बुलाई थी।

                  

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