महलोग रियासत (Mehlog Princely State), Solan

          महलोग रियासत (Mehlog Princely State)

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                           महलोग रियासत (सोलन) नालागढ़ और कुठाड़ के मध्य स्थित थी। इस रियासत का क्षेत्रफल 70‌ वर्ग किमी. था।


 एक उल्लेख के अनुसार महलोग की राजधानी नालागढ़ के समीप 'पट्टा' थी, यह राजधानी 21 पीढ़ियों तक रही थी। महलोग रियासत का संस्थापक आयोध्या से आया हुआ कोई व्यक्ति था, उसके नाम के विषय में कोई निश्चित जानकारी नही है।

 


 महलोग रियासत के कुछ मुख्य शासक

    

    संसार चंद(Sansar Chand)-

                  राजा संसार चंद के समय में गोरखों ने महलोग रियासत पर अधिकार कश्र लिया था। उस समय संसार चंद भागकर हिंदूर के राजा रामसरन के पास जाकर रहने लगा। 4 सितंबर, 1815 ई॰ में गोरखा युद्ध के पश्चात् अंग्रेजों ने ने सनद द्वरा महलोग की रियासत लौटा दी।


रघुनाथ चंद (Raghunath Chand) 

                        इनका शासनकाल 1880-1902 ई॰ तक का था। इन्होंने कईं भवन, एक अस्पताल और पुलिस विभाग को सुदृढ़ बनाया।


दुर्गा चंद (Durga Chand)

             इनके शासनकाल में 1909 ई॰ में जमीन का कानूनी बंदोबस्त शुरू किया गया, दो नए स्कूल खोले गए और वनों का वर्किंग प्लान तैयार किया गया।


नरीन्द्र चंद (Narinder Chand)

             नरीन्द्र चंद  3 मई, 1936 में राजगद्दी पर बैठे।यह पट्टा महलोग के आखिरी औपचारिक राणा थे।


 15 अप्रैल, 1948 ई॰ में महलोग का विलय हिमाचल प्रदेश में हो गया। 


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