बाघल रियासत (Baghal Princely State, Solan)

              बाघल रियासत (Baghal Princely State )


   बाघल रियासत (सोलन) का क्षेत्रफल 198 वर्ग किमी. था। बाघल रियासत सतलुज की सहायक नदी गम्भर की घाटी मे स्थित थी।इस रियासत की सीमाएं बिलासपुर से लेकर शिमला के निकट जतोग तक और कुनिहार से मांगल तक फैली हुई थी।

      इस रियासत की स्थापना धरनगिरी से आए पंवर/परमार वंशीय अजयदेव ने की। एसा माना जाता है कि अजयदेव के भाई विजयदेव ने बाघल की पड़ोसी रियासत बघाट की स्थापना की थी। अजयदेव प्रथम शासक था जिसकी स्मृति में वणिया देवी का मंदिर अर्की में,  मुटलू में शिव मंदिर और डुगली व दाड़ला के घोघर में उसके महलों के अवशेष मिले।


बाघल के कुछ प्रसिद्ध शासक:-


सभाचंद(Sabha Chand)

सभाचंद ने 1643ई॰ में अर्की को बसाया और उसे अपनी राजधानी बनाया।


जगत सिंह (Jagat Singh)

 इन्होंने  अपने नाम में 'चंद' को हटाकर 'सिंह' जोड़ा।


शिव सरण सिंह (Shiv Saran Singh)

  शिव सरण सिंह के समय में कांगड़ा के राजा संसार चंद के पुत्र अनिरुद्ध चंद 1829 ई॰ में अर्की में आकर शरण ली थी।


किशन सिंह (Kishan Singh)

 इन्हें अर्की‌ का निर्माता समझा जाता है।


ध्यान सिंह (Dhyan Singh)

 इन्होंने प्रशासन  चलाने के लिए अपने भाईयोंऔर रिश्तेदारों को अधिक अधिकार दिए, परन्तु उन पर वे कड़ी नजर रखते थे। वे एक लोकप्रिय राजा थे।


राजेंद्र सिंह ( Rajender Singh)

 बाघल रियासत के अंतिम शासक  शासक तथा हिमाचल गृह रक्षक दल के संस्थापक। इन्होंने रियासत का कार्य केवल 1946 से 1948 तक  ही किया इसके पश्चात् बाघल का हिमाचल में विलय हो गया था। 7 जून, 2010 में 84 वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु हुई। 


 

       


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