नालागढ़ / हिंदूर / हण्डूर रियासत (Nalagarh / Hindur Princely State, Solan)

हिंदूर / हण्डूर / नालागढ़ रियासत  (Hindur/Nalagarh Princely State)

    

       हिंदूर / नालागढ़ रियासत (सोलन) सतलुज की सहायक नदी सिरसा नदी घाटी में स्थित थी। इसका क्षेत्रफल 410 वर्ग किमी. था। इस       रियासत का आधा भाग शिवालिक की पहाड़ियों में तथा आधा भाग समतल भूमि में था। 


   रियासत की स्थापना 1100 ई॰ में कहलूर के राजा काहन चंद के बड़े पुत्र अजय चंद  ने की थी। हिंदूर का नाम नालागढ़ तब पड़ा जब इसकी राजधानी नालागढ़ में बनाई गई।


हिंदूर / नालागढ़ के प्रमुख शासक -

         

 विजय चंद (Vijay Chand)

      विजय चंद का शासनकाल 1171 से 1201 ईस्वी तक था।

विजय चंद की बाल्यावस्था में उनकी मां ने राज्य का कार्यभार संभाला। इस समय रानी को कुछ विद्रोहियों का सामना करना पड़ा। जब विजय चंद बड़ा हुआ तो उसने विद्रोहियों कनैतो का  दमन किया। 

 

आलम चंद (Alam Chand)-

                  आलज्ञ चंद का शासनकाल 1356-1406 ई॰ तक था। आलम चंद के समय मध्य एशिया के मंगोल मुसलमान शासक तैमूर लंग ने भारत पर आक्रमण किया था।



राम चंद(Ram Chand)

          राम चंद का शासन काल 1522-1568 ई॰ तक का था। इन्होंने रामगढ़ के किले का निर्माण  तथा रामशहर नगर का निर्माण किया था।


संसार चंद (Sansar Chand) 

              इन्होंने प्राचीन 'सरोवर कला कुंड' की मुरम्मत करवाई।


धर्म चंद (Dharam Chand)

           इन्होंने प्रजा से लिए जाने वाले कर को घटाकर कर का छठा हिस्सा ही लिया।


मान चंद(Maan Chand)

       राजा मान चंद को उनके चाचा पद्म चंद ने मार दिया था। इसके पश्चात्  राजा के सहयोगियों ने पद्म चंद को भी मार दिया था, अंतत: राजपरिवार के सदस्य गजे सिंह राजा बने।


राजा राम सरन सिंह (Raja Ram Saran Singh)

                      गजे सिंह के बाद उनके पुत्र राम सरन‌ सिंह गद्दी पर‌ बैठे। इन्होंने  बिलासपुर नगर को जलाया था।


राजा  जोगेंद्र सिंह (Raja Jogendra Singh)

        राजा जोगेन्द्र सिंह ने प्रथम विश्व युद्ध में अपनी तथ अपने राज्य की सेवाएं सरकार को उपलब्ध करवाई। इन्होंने अन्ग्रेजी व आयुर्वैदिक औषधालय,एक बैंक और  पशु चिकित्सालय खोला।इन्होंने सडधके भी पक्की करवाईं।


 राजा सुरेन्द्र सिंह (Raja Surender Singh)

                        ये रियासत के अंतिम औपचारिक शासक थे। इनके शासन काल में ही नालागढध को हिमाचल में मिलाया गया था।1 नवम्बर, 1966 ई॰ में नालागढ़ का हिमाचल में विलय हुआ था।


 

                                                        




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